Thursday 1 October 2020

दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार का निर्धारण कैसे करें।

दक्षिण दिशा में द्वार देवता

दक्षिण दिशा में द्वार बनाते समय आग्नेयकोण SE से नैऋत्यकोण SW तक की लंबाई को 9 से विभाजित करके आग्नेयकोण की तरफ से क्रमशः फल समझें। जिस स्थान पर मुख्य द्वार होगा, उसका फल बताया जा रहा है।
1. अनिल-इस स्थान पर द्वार बनानेसे सन्तानकी कमी तथा मृत्यु होती है।
2. पूषा- इस स्थानपर द्वार बनानेसे दासत्व तथा बन्धनकी प्राप्ति होती है।
3. वितथ-इस स्थानपर द्वार बनानेसे नीचता तथा भय की प्राप्ति होती है।
4. बृहत्क्षत-  स्थानपर द्वार बनानेसे धन तथा पुत्र की प्राप्ति होती है।
5. यम-इस स्थानपर द्वार बनानेसे धनकी वृद्धि होती है । (मतान्तरसे इस स्थानपर द्वार बनानेसे भयंकरता होती है।) 
6. गन्धर्व-इस स्थान पर दीवार बनाने से निर्यात तथा यशकी प्राप्ति होती है।
(मतान्तरसे इस स्थानपर द्वार बनानेसे कृतघ्रता होती है।)
7. भृंगराज-इस स्थानपर द्वार बनानेसे निर्धनता, चोरभय तथा व्याधि भय प्राप्त होता है ।
8. मृग इस स्थान पर द्वार बनानेसे पुत्रके बलका नाश, निर्बलता तथा रोग भय होता है।
9. पिता-इस स्थान पर दीवार बनाने से पुत्र हानि, निर्धनता तथा शत्रुओंकी वृद्धि होती है।


वास्तु-विचार

1 comment:

  1. Namaskar! Jo ghar ka nirmaan kar chuke ho Unke liye koi upaay btaye 🙏

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